(samvidhan divas 2024) आज मना रहे हैं भारत के संविधान स्वीकृति दिवस

आज संविधान स्वीकृति दिवस का महत्व, इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और कैसे यह भारतीय लोकतंत्र की नींव है। जानें संविधान के मुख्य पहलू और इसकी प्रासंगिकता।

Lokesh Umak
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आज संविधान स्वीकृति दिवस का महत्व, इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और कैसे यह भारतीय लोकतंत्र की नींव है। जानें संविधान के मुख्य पहलू और इसकी प्रासंगिकता।
Samvidhan divas 2024

आज का दिन भारत के इतिहास में विशेष स्थान रखता है। संविधान स्वीकृति दिवस हमें उस ऐतिहासिक क्षण की याद दिलाता है जब भारत ने अपनी संप्रभुता की नींव रखी थी। हालांकि मैं उस दिन पैदा नहीं हुआ था, लेकिन इतिहास इस बात का साक्षी है कि यह दिन कितना महत्वपूर्ण था। भारतीय संविधान, जिसे दुनिया का सबसे विस्तृत और समावेशी संविधान माना जाता है, ने “एकता में विविधता” के आदर्श को साकार किया। यह संविधान न केवल शासन के ढांचे को परिभाषित करता है, बल्कि न्याय, स्वतंत्रता और समानता के सिद्धांतों को भी सुनिश्चित करता है।

भारतीय संविधान 12 भागों और 395 अनुच्छेदों में विभाजित है। इसे दुनिया का सबसे विस्तृत संविधान माना जाता है। इसका हर अनुच्छेद न्यायपूर्ण और समतामूलक समाज की स्थापना के लिए बनाया गया है। डॉ. बी.आर. अंबेडकर और उनकी समिति ने इसे तैयार करने में दो साल से अधिक समय लिया। समय के साथ इसमें कई संशोधन किए गए, जिससे यह उभरती चुनौतियों और बदलते समय के अनुरूप बना रहा। इसके मुख्य भाग देश के हर नागरिक के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत हैं।

भारतीय संविधान के मुख्य घटक (samvidhan divas 2024)

भारतीय संविधान को समझने के लिए इसके मुख्य पहलुओं पर ध्यान देना आवश्यक है:

  1. प्रस्तावना: यह भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित करती है।
  2. मौलिक अधिकार और कर्तव्य: नागरिकों के अधिकारों को सुनिश्चित करते हुए उनके कर्तव्यों को भी रेखांकित करती है।
  3. राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांत: सार्वजनिक कल्याण के लिए सरकार के मार्गदर्शन हेतु सिद्धांत प्रदान करती है।
  4. संघ और राज्य सरकार की रूपरेखा: केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन करती है।

ये घटक यह सुनिश्चित करते हैं कि संविधान हर भारतीय के लिए कानूनी और प्रशासनिक मामलों में अंतिम मार्गदर्शक बना रहे।

संविधान के निर्माण से स्वीकृति तक और समयानुसार संशोधन

भारतीय संविधान का मसौदा तैयार करना एक विशाल कार्य था। डॉ. बी.आर. अंबेडकर के नेतृत्व में मसौदा समिति ने इसे दो वर्षों में तैयार किया। 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने इसे स्वीकृत किया, जबकि 26 जनवरी 1950 को यह लागू हुआ। यह दिन हमें न केवल उस अद्वितीय क्षण की याद दिलाता है बल्कि संविधान की प्रासंगिकता पर भी विचार करने का अवसर देता है।

संविधान समय के साथ विकसित होता रहा है। 42वें, 73वें और 74वें संशोधन जैसे ऐतिहासिक कदमों ने इसे आधुनिक समय की जरूरतों के अनुकूल बनाया। यह लचीला और जीवंत दस्तावेज़ न केवल कानून बल्कि सामाजिक सुधारों में भी सहायक है।

संविधान स्वीकृति दिवस न केवल भारत के लोकतंत्र की मजबूती को प्रदर्शित करता है, बल्कि नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों को भी प्रेरित करता है। यह संविधान हमारे देश के विभिन्न समुदायों को जोड़ता है और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है। इसके प्रावधान हमें अपनी जिम्मेदारियों का एहसास दिलाते हैं और लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने की प्रेरणा देते हैं।

एकता और प्रासंगिकता का संदेश

संविधान स्वीकृति दिवस हमें यह याद दिलाता है कि यह दस्तावेज़ न केवल हमारी स्वतंत्रता का आधार है, बल्कि यह हमारे राष्ट्र की आत्मा है। आइए इस ऐतिहासिक दिन पर इसके महत्व को समझें और इसे बनाए रखने का संकल्प लें। इस महान दस्तावेज़ ने हमारे लोकतंत्र को आकार दिया है। अपनी राय साझा करें कि यह संविधान आपके जीवन को कैसे प्रभावित करता है।

by Lokesh Umak
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